COVID-19 कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में lockdown लगा था जिसका सीधा असर अर्थ्वाव्यस्था पर देखने को मिला . सबसे बड़ी समस्या तब सामने आई जब लोन धारको को अपना EMI चुकाना था और लोगों के मन में भय था कि अगर EMI सही समय पर नहीं गयी तो इसका सीधा असर उनके CIBIL स्कोर पर पड़ेगा. lockdown में भारतीय रिजर्व बैंक ने ईएमआई भरने के लिए नए निर्देश जारी किये थे की अगर लॉकडाउन की वजह से आप अपने लोन की ईएमआई (EMI) देने से चूक जाते हैं तो आपके CIBIL स्कोर पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
बैंक आपको लोन देगा या नहीं, ये काफी कुछ आपके सिबिल स्कोर (CIBIL Bank) पर निर्भर करता है। सिबिल स्कोर 3 अंकों की एक संख्या है। बता दें कि बैंक इस पर आधारित एक रिपोर्ट बनाती है। इसमें आपकी क्रेडिट हिस्ट्री की पूरी जानकारी होती है। इसका पता 'खातों' के विवरण से लगाया जाता है। इसमें क्रेडिट कार्ड या लोन अकाउंट, उनके पेमेंट का स्टेटमेट और उन्हें चुकाने में बचे दिन का (Serial mention) होता है। स्कोर कर्ज लेने की पात्रता को दर्शाता है। ये लोन को अदा करने के पिछले रिकॉर्ड और आपकी उसे लौटाने की क्षमता पर आधारित होता है। इस स्कोर की रेंज 300 से 900 के बीच होती है। जानकारी के लिए बता दें कि स्कोर (score) जितना ज्यादा होता है, लोन मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाती है।.
बैंक और फाइनेंशियल कंपनियां उन लोगों को क्रेडिट देना ज्यादा पसंद करती हैं जिनका क्रेडिट स्कोर 750 से अधिक होता है क्योंकि इसका मतलब है कि वे अपने फाइनेंस को अच्छी तरह मैनेज कर सकते हैं. अगर आपका क्रेडिट स्कोर 750 से कम है तो आप इसे बेहतर बनाने के लिए कई उपाय कर सकते हैं और अपनी क्रेडिट योग्यता को बढ़ा सकते हैं. इन उपायों को करने के बाद, आपके क्रेडिट स्कोर में बदलाव दिखाई देने में तीन से छः महीने लगते हैं.
lockdown के समय बैंकों द्वारा लोगों को काफी राहत मिली आपको बता दे कि ट्रांसयूनियन सिबिल यान में कहा, '' रिजर्व बैंक की ईएमआई चुकाने पर लगाई गई रोक के बाद हम अपने सभी साथी बैंकों और लोन देने वाले संस्थानों के साथ आंकड़े जुटाने के ढांचे पर काम कर रहे हैं. ताकि इस रोक की अवधि का ग्राहकों की ऋण चुकाने की पिछली जानकारियों और सिबिल स्कोर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े. रिजर्व बैंक ने ऋण ग्राहकों को लॉकडाउन के प्रभाव से राहत देने के तौर पर यह कदम उठाया है.
बता दें कि रिजर्व बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए कई तरह के बड़े फैसले लिए थे . रिजर्व बैंक ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी तरह के लोन की मासिक किस्त चुकाने पर तीन महीने रोक की घोषणा की थी. इसमें RBI ने नीतिगत ब्याज दरों में बड़ी कटौती किया था. इसके साथ ही RBI ने EMI के लिए भी 3 महीने की मोरेटोरियम पीरियड का ऐलान किया था. इसके मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति अगले 3 महीने तक अपनी EMI ने जमा कर पा रहा है तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा
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